Saturday, February 21, 2009

aaj

अपनी चारदीवारी मैं चक्की पीसते हुए
मैंने खनखनाती धुप देखि
सनसनाती बर्फीली हवाएं झेलीं
इधर टकराया उधर गिरा
कभी फिसला कभी फिरा
ऐसे दिन गया रात आई
पूछो मत कितनी थकन आई
और अब दे न बहार कुछ भी दिखाई
पर अब भी गब्बर सिंह
चक्की पीसिंग
चक्कं पीसिंग

(maay de snovboarding tude, a phev laains)
(I wrote it, translated to hindi in blogger and retranslated to english. This is what it became from "my day snowboarding today, a few lines").



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